छोटे से बीज का विशाल वृक्ष बनने का सफर | Short Motivational Story in Hindi
एक छोटे से गाँव में मीरा नाम की एक लड़की रहती थी। मीरा पढ़ाई में बहुत तेज थी, लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उसे आगे पढ़ने का सपना अधूरा ही रह गया। गाँव में ही एक चाय की दुकान पर काम करने लगी।
कुछ समय बाद, मीरा ने देखा कि गाँव के कई बच्चे शिक्षा के अभाव में भटक रहे हैं। उन्हें देखकर मीरा के मन में शिक्षा की ज्योति जगाने का विचार आया। उसने अपने घर के एक छोटे से कोने में ही बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। शुरुआत में केवल दो-चार बच्चे आते थे, लेकिन मीरा की लगन और मेहनत को देखकर धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गई।
गाँव के कुछ लोगों ने मीरा का ये प्रयास देखा तो उनका उपहास उड़ाने लगे। वे कहते, “पढ़ा- लिखाकर क्या करेगी? अपना काम संभाले तो अच्छा है।” लेकिन मीरा ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। उसका पूरा ध्यान बच्चों को पढ़ाने में लगा रहता था।
कुछ समय बाद, मीरा के पढ़ाए हुए बच्चों ने सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया और वहाँ भी अच्छा प्रदर्शन किया। गाँव वालों को एहसास हुआ कि मीरा का काम कितना सार्थक है। उन्होंने मीरा की मदद के लिए आगे आए और गाँव के बाहर एक छोटा सा स्कूल बनवाया गया।
धीरे-धीरे यह स्कूल तरक्की करता गया और आज गाँव के लगभग सभी बच्चे वहाँ शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मीरा ने एक छोटे से बीज की तरह जो सपना बोया था, वह आज एक विशाल वृक्ष बन चुका है, जिसकी छाया में पूरा गाँव तरक्की कर रहा है।
सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हमारे मन में कोई जुनून हो और हम उसे पाने के लिए लगातार मेहनत करें तो हमें सफलता जरूर मिलती है। दूसरों की निंदा करने वाली बातों को अनसुना कर के अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना चाहिए।