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महाशिवरात्रि की लोकप्रिय कथा (Popular Story of Mahashivratri)

पहली कथा: शिकारी और हिरण

एक समय में चित्रभानु नामक एक शिकारी रहता था। वह शिकार करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। एक दिन, शिवरात्रि के पर्व पर, वह जंगल में शिकार के लिए गया। लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिला। भूख और प्यास से व्याकुल होकर, वह रात भर एक बेल के पेड़ के नीचे सो गया। अनजाने में, सोते समय उसके हाथ से बेलपत्र टूटकर नीचे शिवलिंग पर गिरते रहे। सुबह होने पर, उसे एक हिरण मिला। वह उस पर बाण चलाने ही वाला था कि हिरण ने उससे विनती की कि यदि उसने पहले से ही उसकी तीन हिरण ( female deer) को मार डाला है, तो उसे भी मार डाले ताकि उन्हें वियोग में दुख न सहना पड़े। साथ ही, यदि उसने उन्हें छोड़ दिया है, तो उसे भी थोड़ा समय दे ताकि वह उनसे मिलकर वापस आ सके।

शिकारी को रात की बातें याद आईं और उसने हिरण को पूरी कहानी सुनाई। हिरण ने कहा कि उसकी पत्नियाँ जिस प्रकार वचनबद्ध होकर गई हैं, उसी प्रकार उसे भी जाना चाहिए। शिकारी ने उसे भी जाने दिया। इस प्रकार अनजाने में ही उसने उपवास किया, रात्रि जागरण किया और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए, जिससे अनजाने में ही शिवरात्रि का व्रत पूरा हो गया। फलस्वरूप, उसका हिंसक हृदय निर्मल हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

दूसरी कथा: समुद्र मंथन और जहर

समुद्र मंथन के समय, जब हलाहल विष निकला, तो तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। कोई भी उस विष को पीने के लिए तैयार नहीं था। तब भगवान शिव ने विष को अपने कंठ में ले लिया। परंतु उन्होंने उसे नीचे नहीं उतारा, अपने गले में ही रख लिया। इससे उनका कंठ नीला हो गया, इसलिए उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। भगवान शिव की कृपा से ही देवताओं और असुरों का बचाव हुआ।

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